________________
हैं। जिन्दगी बीत रही है । शरीर में पल-पल परिवर्तन आ रहा है । छोटे से बड़े हो गए, लेकिन समय के प्रति जागरूकता नहीं भाई । समय की चेतना नहीं आई ।
जागरूकता आ सकती है । एक शर्त है । आदमी को पता चल जाए कि कल का सूरज नहीं देख पाएगा तो उसकी रात निकलनी मुश्किल हो जाए । वह भूल जाए कि पत्नी के साथ सोना है, तिजोरी का ध्यान रखना है। पांच बेटे हैं, उनकी शादियां करनी हैं, यह भी भूल जाओगे | उस समय तो बस धुकधुकी लग जाती है । सुबह मरना है। सूरज का दर्शन भी नहीं कर पाऊंगा । पूरी रात वह् जागकर ही बिता देता है, लेकिन इस अवधि में भी कोई ठोस काम उससे नहीं हो पाता ।
ऐसा ही हुआ । भगवान एक बरगद के नीचे बैठे थे । अचानक वे मुस्कुराने लगे । पास बैठे शिष्यों ने पूछा - 'भगवान, आप अचानक कैसे मुस्कुराए ?' भगवान बोले- 'वो सामने दरिया के किनारे खड़े आदमी की ओर देखो । वह सोच रहा है कि खूब पैसे कमाऊंगा और महल बनाऊंगा। बड़ी बड़ी योजनाएं बना रहा है । लेकिन मेरे प्रिय शिष्यों, वह नहीं जानता कि सात दिन बाद उसकी मृत्यु होने वाली है । तुम जाओ उससे यह कह दो कि सात दिन ही उसकी जिन्दगी शेष है ।'
शिष्य उस आदमी के पास गये और उसे यह बात बताई । वह व्यक्ति सुनते ही स्तब्ध रह गया । उसके पसीना आने लगा । अब तक बनाई सारी योजनाएं धरी रह गई । उसके पांवों में खड़े रहने की ताकत तक नहीं रही। वो गिर पड़ा । शिष्य उसे उठाकर भगवान के पास ले गये । उसे होश आया तो भगवान ने कहा, 'रोने से कुछ नहीं होगा । एक बात जान लो, कभी सत्य की मृत्यु नहीं होती । मृत्यु केवल स्वप्न की होती है । और ये सारा संसार, समय का केवल स्वप्न ही तो है ।
Jain Education International
( १२६ )
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org