Book Title: Samay ki Chetna
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 146
________________ कभी संकट की घड़ी आ जाए और कोई राह न सूझे तो इस सूत्र को पढ़ लेना। मैंने वो सूत्र एक ताबीज में बांध रखा है, लेकिन मुझे कभी वो ताबीज खोल कर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि कभी संकट की ऐसी खतरनाक धड़ी आई ही नहीं। आप इस ताबीज को ले जाइये। सम्राट वो ताबीज ले आया और उसे अपने बाजू पर बांध लिया। कई बार उस ताबीज को खोलकर देखने की इच्छा हुई, लेकिन वह टाल जाता। धीरे-धीरे सम्राट उस बात को भूल गया। समय बीतता चला गया। एक बार ऐसा हुआ कि सम्राट के पड़ोसी देश ने उस पर आक्रमण कर दिया और उसके देश पर कब्जा कर लिया । सम्राट अपनी जान बचा कर भागा । उसके पीछे पड़ौसी देश के सैनिक थे । सम्राट की जान के लाले पड़े हुए थे। . घोड़े पर भागते-भागते सम्राट घने जंगल में एक ऐसी जगह पहुंच गया जहां से आगे पहाड़ी शुरू होती थी। अब क्या हो ? सम्राट ने सोचा 'अब तो प्राण जाएंगे, कोई नहीं बचा सकता। दुश्मन के सैनिकों के घोड़ों की टापे समीप पा रही थी। सम्राट लस्त-पस्त एक पेड़ के नीचे पड़ गया। उसका घोड़ा न जाने कहां चला गया । अब तो प्राण बचने का कोई रास्ता ही नहीं बचा । - एकाएक सम्राट को वो ताबीज याद आया। उसने ताबीज खोला तो भीतर एक छोटा सा पर्चा निकला जिस पर लिखा था 'यह समय भी बीत जाएगा।' सम्राट वह पढ़कर मन-ही-मन हंस पड़ा। और संयोग ऐसा हुआ कि दुश्मन के सैनिक सम्राट के कुछ ही दूरी से निकल गए। राजा के प्राण बच गए। सम्राट ने सोचाठीक ही तो लिखा है, यह समय भी बीत जाएगा, और खतरा वास्तव में टल गया था । ( १४१ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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