Book Title: Samay ki Chetna
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 145
________________ कोई भी परिवर्तन एकाएक नहीं होता । मकान बनाना शुरू करो तो एक दिन में नहीं बन जाता । कोई पौधा लगाओ तो वह एकाएक पेड़ नहीं बन जाता । उसमें समय लगता है । कोई व्यक्ति यह पता लगाना चाहे कि उसकी मूंछ के बाल किस दिन सफेद हुए तो वह पता नहीं लगा पाएगा। रात को सोकर सुबह उठते हैं तो सब कुछ पिछले दिन जैसा ही नजर आता है क्योंकि परिवर्तन बहुत सूक्ष्म होता है । घड़े में पानी भरा है और बूंद-बूंद रिस रही है । एक दिन पता चलता है कि अरे, इतना पानी खाली हो गया । मनुष्य के जीवन के मंगल कलश से भी जीवन पानी की एकएक बूंद की तरह रिस रहा है, लेकिन पता नहीं चलता । ऐसे ही क्रम रहता है और एक दिन घड़ा कलश खाली हो जाता है । मृत्यु हो जाती है । एक प्यारी सी घटना है । मैंने सुना है: एक सम्राट जब वृद्ध हो गए तो उनके मन में आया कि दुनिया भर के शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया जाए । उन्होंने पंडितों को बुलाकर कहा कि मैं शास्त्रों का ज्ञान पाना चाहता हूं, लेकिन मेरे पास समय नहीं है इसलिए आप सभी धर्मों का निचोड़ मेरे पास लाएं। सभी धर्मों का सार उन्हें कम-से-कम शब्दों में लिख कर दे दिया, लेकिन उनमें से कोई भी बात राजा को नहीं जमी । किसी ने उन्हें सुझाया कि नगर के बाहर एक फकीर बैठता है । वह बहुत कम बोलता है । हो सकता है वह आपकी समस्या हल कर दे । सम्राट इस फकीर के पास गए । सम्राट ने उनसे कहा कि आपको मैं क्या बता सकता हूं। मैंने तो कोई शास्त्र पढ़े ही नहीं । हां, जीवन का एक सूत्र मुझे मेरे गुरु ने दिया था कि जब Jain Education International ( १४० ) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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