Book Title: Samay ki Chetna
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 142
________________ यदि हम लोग यह मानते हैं कि त्रेता युग महान युग था तो हमें यह भी याद रखना चाहिए कि त्रेता युग में भी युद्ध हुए, सीता का हरण हुग्रा । तब भी नारी का अपमान हुआ । तब भी नारी की रक्षा करने वाले थे। ऐसा नहीं है कि निंदा करने वाले लोग आज ही हैं । राम के जमाने में भी कम निंदक नहीं थे । आज के लोग तो फिर कानों के पक्के होते हैं । पहले तो कानों के कच्चे हुना करते थे । भगवान राम तक ने एक धोबी की बात सुनकर सीता की अग्नि परीक्षा ले ली थी । एक पत्नी के प्रति पति को पूरा विश्वास नहीं रहा । त्रेता युग में नारियां महान हुआ करती थी, पति ने कहा अग्नि परीक्षा दो, तो वे ऐसा ही करके दिखाती थी । सीता ने कभी राम की अग्नि परीक्षा नहीं ली । इसलिए पुराने युगों को ही श्रेष्ठ कहना उचित न होगा । निदंक तब भी थे । युद्ध तब भी होते थे, आतंक और हिंसा तब भी थी । यज्ञ के नाम पर पशु ही नहीं, मानव बलि तक देने के प्रमाण हैं । त्रेता के राम की प्रांखों में आंसू का निर्भर बहता था जिससे सीता का प्रांचल भी करुणा से भीग जाता था । और जिसे हम द्वापर कहते हैं वह भी कम चर्चित नहीं था । सारा द्वापर नारी के बिखरे बालों में उलझ गया । ज्योति तो कम थी, धुम्रां अधिक उठता था जली मशालों में । उस द्वापर युग में जिसे हम भगवान कृष्ण का युग कहते हैं उसमें ज्योतियां कम जलीं, मशालों से धुम्रां अधिक उठा । कलयुग में पचास बुराइयां नजर आती हैं, लेकिन आज का मानव जितना प्रबुद्ध और समृद्ध हुआ है, ऐसा पहले कभी नहीं था । Jain Education International ( १३७ ) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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