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साधो भाई: समय साधो
जन्म के साथ ही मृत्यु की यात्रा प्रारम्भ हो जाती है । मृत्यु के साथ ही पुनर्जन्म की यात्रा प्रारम्भ हो जाती है | जहां जन्म है, वहां मृत्यु भी है। जहां संयोग हैं, वहीं वियोग है। वहा दुःख है । जहां सम्मान है वहीं पराभव है। जहां वहीं मुरझाना भी है। जहां बचपन है वहां बुढ़ापा है ।
जहां सुख है खिलना है,
समय का यह शाश्वत क्रम है कि जहां कारण है, वहां कार्य अनिवार्यतः होगा । इसीलिए मनुष्य के जन्म के साथ ही मृत्यु की यात्रा प्रारम्भ हो जाती है। माना कि मृत्यु जन्म के कई वर्ष बाद होगी लेकिन यात्रा तो जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है । जीवन
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