Book Title: Samay ki Chetna
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 130
________________ है । भीतर ही भीतर जहर पी रहा है । धमनियों में जहर फैला रहा है । लेकिन एक दूसरा तरीका भी है । आदमी समय से बाहर आ गया तो बाहर खड़ा है, वह ध्यान का मार्ग है । जो आदमी समय से हटकर देख रहा है, जो आदमी किनारे खड़ा है, वह कैसे डूबेगा ? ध्यान पर खड़ा होना, समय के सागर के किनारे खड़ा होना है । जिस व्यक्ति ने अपने समय को पहचाना, अतीत, वर्तमान में घट रही घटनाओंों को जाना, उसने जीवन के अतीत से सबक सीखा है । एक व्यक्ति की पत्नी प्रतीत में सौ बार नाराज हुई और सौ बार राजी हुई। ऐसी राजी नाराजी चलती रहनी है । जो हमेशा नाराज रहे, वो पत्नी नहीं है और जो हमेशा राजी रहे, यह सम्भव नहीं है । आदमी को तटस्थ रहना जरूरी है । समय सबके लिए एक-सा नहीं रहता । जिसकी जैसी पात्रता, बूंद का उपयोग भी वैसा ही होता है । पानी की एक बूंद बादल से निकलती है, वह गर्म रेत पर गिरेगी तो स्वाहा हो जाएगी। इसके विपरीत वह समुद्र में गिरेगी तो उसके जैसी विराट हो जाएगी । केले के पेड़ के गर्भ में गिरेगी तो कपूर बन जाएगी । समय निश्चित तौर पर एक है, लेकिन वह एक सा रहता नहीं है । रूप बदलता रहता है । किसका कैसा, और कब समय आएगा, कोई नहीं कह सकता । आदमी समय का उपयोग नहीं कर पाता तो यह उसकी नासमझी है । , आदमी दो कारणों से समय को टालता रहता है । आदमी की पहली आदत तो यह है कि वह सोचता है यह काम कल कर लेंगे । ग्राज करने की क्या जरूरत है । यह आदत इतनी गहरी Jain Education International ( १२५ ) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158