Book Title: Samay ki Chetna
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 131
________________ होती चली गई है कि आदमी सोचता है कि कल कर लेंगे तो क्या आफत आ जाएगी ? आदमी की मानसिकता ने उसे आलसी बना दिया है, लापरवाह बना दिया है। 'आज करे वो काल कर, काल करे सो परसों' की मानसिकता ने उसे गहरे गड्ढे में धकेल दिया है । किसी ने रुपये उधार दिए और जब वह वापस मांगने पाया तो जवाब दिया-'कहीं खा कर भाग रहे हैं क्या ?' दे देंगे। कब दे दोगे, इसका जवाब नहीं देते । इस आदत के कारण आदमी अच्छे काम भी कल पर टालता चला जाता है। व्यर्थ के काम तो वह तुरत-फुरत कर लेता है । किसी के पेट में चाकू घोंपना है तो पल भर का विलंब न करेगा । इसके विपरीत किसी से प्रेम करना हो, क्षमा मांगनी हो तो आदमी कल पर छोड़ देगा। हर सार्थक काम को हम कल पर टाल देते हैं । व्यर्थ को आज ही कर लेना चाहते हैं। दूसरी मानसिकता यह पैदा हई है कि काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय हो गई तो बहुरि करंगो कब ? एक मानसिकता अाज की कल पर टालने तथा दूसरी कल का काम आज ही निपटने की है। आप सार्थक कामों को कल पर टालते जाते हैं और व्यर्थ कामों को आज ही कर लेना चाहते हैं । आदमी से अगर कहो कि एक घंटा सामायिक कर लो, तो वह अखबार पढ़ने बैठ जाएगा। ऊपर से तर्क देगा कि देखते नहीं अखबार पढ़ रहा हूं। और ऐसा नहीं है कि वह कल सामायिक कर लेगा। कल भी अखबार पढ़ने बैठ जाएगा। आदमी यही सोचता है कि मृत्यु तो कल आएगी, आज थोड़े ही आ रही है । मृत्यु कभी कल नहीं आती। वह हमेशा आज ही आती है। कल भी तो अाज में बदलता है। जिन्दगी ऐसे ही पूरी हो जाती है। ( १२६ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158