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जैसा भगवान बना दे। असली गुरु वह है जो शिष्य को गुरु बना दे। दूसरों को अपने से भी आगे बढ़ा दे, वही असली सद्गुरु होता है। दूसरों को गुलाम वही बनाता है जो अपना मालिक नहीं हो सकता। जो व्यक्ति स्वयं भरा हुआ नहीं है, वह दूसरों को गुलाम बनाकर अपने को भरना चाहता है।
एक बहुत बड़ा फकीर हुआ है, सिकन्दर का गुरु डायोजनीज । उसके बारे में कहा जाता है कि वह एक बार जंगल में नग्न खड़ा था। उन दिनों गुलामों की खरीद-फरोख्त हुआ करती थी । बलिष्ठ लोगों को बटोरकर गुलाम के रूप में बेचा जाता था। डायोजनीज जब जंगल में खड़ा था तो कुछ लोग उधर से गुजरे। उन्होंने देखा कि यह बलिष्ठ आदमी अपने काम का है। इसे बेचने से अच्छे दाम मिलेंगे। उन लोगों ने डायोजनीज को घेरना शुरू किया तो उसने पूछा- 'तुम लोग मुझे क्यों घेर रहे हो ? मैं तो हर घेरे से बाहर
उन लोगों ने कहा-'हम तुम्हें गुलाम बनाना चाहते हैं ।'
डायोजनीज बोला-'हम तो खुद हमारे मन के मालिक हैं । फिर भी अगर तुम चाहते हो तो हम कुछ देर के लिए तुम्हारे गुलाम बन जाएंगे।'
वे लोग उसे शहर ले आए और बोली लगाने लगे तो एक आदमी ने मोटी बोली लगाई और बोला -'ये मेरा गुलाम है ।' डायोजनीज बोला - 'कौन, किसका गुलाम ? तुम मेरे पीछे पाए हो, मेरी बोली मैं खुद लगाऊंगा। एक मालिक खुद बिकने आया है, बोलो, कौन खरीदने वाला है ।' सब चुप थे। बोलती बंद हो गई थी उनकी। दुनिया में गुलामों को तो हर कोई खरीद सकता है,
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