Book Title: Rushimandalsavyantralekhanam Author(s): Sinhtilaksuri, Tattvanandvijay Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal View full book textPage 6
________________ निवेदन विजयजी महाराजसाहेबे संख्याबंध यन्त्रो आपीने तथा मेळवी आपीने अमारा आ कार्यने अतीव सरळ बनान्युं हतुं । तेओोश्रीनी आ सहाय बदल जेटलो उपकार मानीए एटलो ओछो छे । आ अपूर्व यन्त्र-चित्रने तैयार करवामां तेना ब्लॉको बनाववामां अने त्यारबाद तेने सुंदर स्वरूपमां मुद्रित करवा पाछळ संस्थाए सारा एवा खर्चनी जवाबदारी लीवी हती । तेने उत्कृष्ट रीते दोरी आपवा बदल डभोईना निपुण चित्रकार श्री. रमणीकभाईनो तथा तेना ब्लॉको कुराळतापूर्वक तैयार करी आपा बदल प्रेस प्रोसेस स्टुडीओनो अने तेने आकर्षक स्वरूपमां मुद्रित करी आपवा बदल मौज प्रिंटिंग प्रेसना प्रोप्राईटर श्री. वि. पी. भागवतनो अत्यंत हार्दिक आभार मानीए छीए । उपर्युक्त 'ऋषिमण्डलयन्त्र' ना चित्र नीचे गणधरो, लब्धिओ, देवीओ, यक्षो, यक्षिणीओ आदिनां नाम प्रणालिका अनुसार लखवामां आव्यां छे अने ते नामो आ कृतिने अंते अगियार परिशिष्टो रूपे आप्यां छे । परिशिष्टो बाद 'ऋषिमण्डल 'नी ट्रंकी ' यन्त्रालेखनविधि' आपवामां आवी छे। अमदावादना संवेगीना उपाश्रयमांथी प्राप्त थयेल एक हस्तलिखित प्रत परथी आ विधिनी नकल करवामां आवी छे । आ विधि अने त्यारबाद ग्रंथने अंते आपेल 'शब्दसूचि ' अभ्यासीओने उपयोगी थई पडशे । आ ग्रंथना संपादन अने प्रकाशनमां प्रमाद आदिना कारणे जो कोई त्रुटिओ रही जवा पामी होय तो ते माटे अमे चतुर्विधसंघनी अंतःकरणपूर्वक क्षमा मागीए छीए अने यन्त्रना उपासको अने अभ्यासीओने विज्ञप्ति करीए छीए के तेणे कृपा करी ते विषे अमने उदारभावे लखी जणाववुं; एटले बीजी आवृत्तिमां ए सुधारी लई शकाय । भाद्रपद सुद १, वि. सं. २०१७ सोमवार, ता. ११-९-१९६१ विलेपारले, मुंबई ५७ Jain Education International ww लि. सेवक नवीनचन्द्र अंबालाल शाह, एम्. ए. मंत्री, जैन साहित्य विकास मण्डल For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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