Book Title: Rushimandalsavyantralekhanam
Author(s): Sinhtilaksuri, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal
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. ऋषिमण्डलस्तषयन्त्रालेखनम् ऊँ ही श्रीश्च (हीः) धृतिर्लक्ष्मीर्गौरी चण्डी सरस्वती । जयाऽम्बा विजयेत्याद्या विद्याँ यच्छन्तु मे धृतिम् ॥२५॥ भ्रष्टरीज्यादयो यं यमर्थमिच्छन्ति तं नराः। लभन्तेऽस्य स्मृतेयुद्धाद्यापदश्च तरन्त्यमी ॥ २६ ॥ भूर्जपत्रान्तरालिख्य, रक्षा कण्ठ-शिरः-करे ।
मुंगल-ग्रह-भूतार्तिहृद् वश्यादिप्रसाधनी ॥ २७॥
अनुवादः- ही पूर्वक-श्री, ही, धृति, लक्ष्मी, गौरी, चण्डी, सरस्वती, जया, अंबा, विजया--बगेरे विद्याओ (देवीओ) मने धैर्य आपो ॥२५॥
अनुवादः-राज्यथी भ्रष्ट थयेला वगेरे मनुष्यो जे जे अर्थने इच्छे छे तेने आना स्मरणथी प्राप्त 10 करे छे अने तेओ युद्ध वगेरे आपदाओने तरी जाय छे ॥२६॥+
अनुवादः-भोजपत्रमा (आन) आलेखन करीने कंठे, मस्तके अथवा हाथमा (बांधवाथी) रक्षा थाय छे । मोगळा, ग्रह तथा भूतपीडा दूर थाय छे अने वशीकरण वगेरेने सिद्ध करे छे ॥२७॥
७०. विद्या-अहीं जेओनो नामनिर्देश थयो छे ते देवीओ वगेरे। (विद्यादेवीओ माटे जुओ परिशिष्ट ८). 15 ७१. यच्छन्तु मे धृतिम्-आराधनामां मने स्थैर्य तथा धैर्य अर्पो।
७२. भ्रष्टराज्यादयो-अहीं आदि पदथी पदभ्रष्ट अने लक्ष्मीभ्रष्ट तथा भार्यार्थी, सुतार्थी अने वित्तार्थी पण समजवा जोईए । ७३. रक्षा-रक्षा निर्माणना प्रकारो :
१. आलेखन--भूर्जपत्र पर। २. स्थान-कंठमां (मादळियामां) अथवा शिर पर (पाघडीमां, डबीमां) अथवा
हाथे (मादळियाम)। ३. पीडानी शांति माटे--प्रहरचना रिष्ट योगनी शांति माटे तथा भूत-व्यंतर
वगेरेनी बाधाथी मुक्त थवा माटे अने वश्यादि कर्मनां प्रसाधन माटे। ७४. मुद्गल-व्यंतरविशेष--जेओ मुगल साथे परिभ्रमण करे छे। मुद्गलने मंतरीने प्रहारार्थे
कोई फेंके, तो तेना निवारण माटे। सरखावो:-* ॐ ही श्रीः हीः धृतिर्लक्ष्मीः गौरी चण्डी सरस्वती ।
__ जयाऽम्बा विजया नित्या क्लिन्नाऽजिता मदद्रवा ॥८॥
राज्यभ्रष्टा निजं राज्यं पदभ्रष्टाः निजं पदम् । लक्ष्मीभ्रष्टा निजां लक्ष्मी प्रागुवन्ति न संशयः ॥ ८६ ॥ भायार्थी लभते भार्या, सुतार्थी लभते सुतम् । वित्तार्थी लभते वित्तं, नरः स्मरणमात्रतः ॥ ८ ॥ भूर्जपत्रे लिखित्वेदं, गलके मलि वा भुजे। धारितं सर्वथा दिव्यं, सर्वभीतिविनाशकम् ।। ८८॥ भूतैः प्रेतैहैर्यक्षेः, पिशाचैर्मुद्रलैर्मलैः।
वात-पित्त-कफोद्रेकेर्मुच्यते नात्र संशयः॥८९॥ + आ श्लोकमां फलश्रुतिनो निर्देश छ ।
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