Book Title: Rushimandalsavyantralekhanam
Author(s): Sinhtilaksuri, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 17
________________ सारांश दर्शन ऋषिमण्डलयन्त्रनी साधना घणी प्राचीन छे। विक्रमना चौदमा सैकामां अनेक प्रणालिकाओ चालती हशे तेथी तेने व्यवस्थित करवान भगीरथ कार्य श्रीसिंहतिलकसूरि जेवा मन्त्रवादीए न कर्यु होत तो आजे जे प्रणालिका तेमना स्तवमांथी प्राप्त थाय छे ते विच्छेद थाय एवी परिस्थिति इती । यन्त्रनो जैनचक्र तथा धर्मचक्र तरीके अहीं स्तवमा निर्देश मळे छे; परंतु 'हाँ'कार सर्वधर्मबीज छे, एवं स्पष्ट वचन आपणने श्रीसिंहतिलकसूरि पासेथीज मळे छे। __ आ प्रकारे प्रस्तुत षट्खंडी यन्त्रालेखन स्तवमा श्रीसिंहतिलकसूरिए मांगलिक स्तुति करीने यन्त्रोद्धार, मन्त्रोद्धार, प्रणिधानविधि, तात्पर्य तथा सारमन्त्रनो आम्नाय कुशळतापूर्वक दर्शाव्यो छे । -श्री. अमृतलाल कालिदास दोशी, बी. ए. जैन साहित्य विकास मण्डल Jain Education International For Private 8.Personal Use Only www.jainelibrary.org

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