Book Title: Ratnakarandak Shravakachar Author(s): Samantbhadracharya, Mannulal Jain Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer View full book textPage 8
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates प्रकाशकीय “ राग द्वेष विष बेल है - वीतरागता धर्म। समता और संयम रतन - जिनवाणी का मर्म।।" जगत के समस्त प्राणियों के लिये महान पवित्र एवम् कल्याणकारी दिगम्बर जैन वीतराग धर्म को देश विदेश के हर कोने में प्रसारित करने की मंगलमय भावना तथा पावन लक्ष्य से अनुप्राणित होकर श्रेष्टी रत्न जिन भक्त धर्मवत्सल अध्यात्म प्रेमी बम्बई प्रवासी तथा अजमेर निवासी श्री पूनमचन्दजी लुहाड़िया ने दिनांक १६ अप्रैल १९८५ को श्री वीतराग विज्ञान स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट प्रस्थापित कर एक अनुकरणीय तथा प्रेरणादायक कार्य किया। इसी ट्रस्ट के अर्न्तगत स्थापित श्री पं. सदासुख ग्रंथमाला द्वारा वीतराग दिगम्बर जैन धर्म के बहुमुखी प्रचार प्रसार का पुनीत कार्य पूर्ण धर्मोत्साह के साथ वृद्धिंगत है। ग्रन्थमाला द्वारा अनुपलब्ध दि. जैन साहित्य के प्रकाशन की दिशा में अब तक निम्न ग्रंथ लोकार्पित किए जा चुके हैं। सत्साहित्य प्रकाशन १) मृत्यु महोत्सव : इसके तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। २) सहज सुख साधन : इसके चार संस्कार प्रकाशित हो चुके हैं। ३) बारह भावना शतक : (द्वितीय खण्ड) ४) साधना के सूत्र : इसके दो संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। ५) आगमरत्न : बोलती दीवारें ६) अध्यात्म पंच संग्रह : ( श्री पं. दीपचंद जी कासलीवाल) ७) रत्नकरडश्रावकाचार : इसके तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। ८) “महाकवि भूधरदास" : एक समालोचनात्मक अध्ययन __मृत्यु महोत्सव, सहज सुख साधन, साधना के सूत्र तथा आगमरत्न (बोलती दीवारें) की अत्यधिक मांग को देखते हुए इन सभी के नवीन संस्करण प्रकाशित किए जाने की हमारी भावी योजना है। वीतराग विज्ञान स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट की कतिपय धार्मिक गतिविधियाँ श्री सीमन्धर जिनालय अजमेर श्री वीतराग विज्ञान स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट के भव्य भवन में स्थित श्री सीमंधर जिनालय के माध्यम से प्रतिदिन नियमित सामूहिक जिनेन्द्र पूजा, स्वाध्याय, तात्विक गोष्ठियां आदि विविध कार्यक्रमों के संयोजन द्वारा आत्मकल्याण के पिपासु धर्मानुरागी बंधु आराधना एवं आत्म विकास में सलंग्न हैं। समवशरण का प्रतीक यह जिन मंदिर मोक्षमार्ग में लगे हुए सभी व्यक्तियों के लिए एक सशक्त माध्यम है। Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.comPage Navigation
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