Book Title: Rajprashniya Sutra Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 411
________________ ३६१ सुबोधिनी टीका सू. १६० सूर्याभदेवस्य पूर्वभवजीवप्रदेशिराजवर्णनम् "तए ण पएसी के-सिं" इत्यादि ॥१६० सूत्र।। सूत्रार्थ-'तएणं' इसके बाद 'पएसी' प्रदेशी राजाने-“केसि कुमारसमण एवं बयासी-" केशीकुमारश्रमण से ऐसा कहा-'यो खलु भंते-? अहं पुब्धि रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविस्सामि जहा वणसंडेइ वा जाव-खलवाडे चा-" हे भदन्त ? मैं पहले रमणीय होकर अव वनपण्ड, अथवा यावत खलबाट सेलडीका खेत की तरह अरमणीय नहीं बनूंगा. "अहं सेयविया नयरी पमुक्खाइ सत्त गामसहस्साइं चत्तारिभागे करिस्सामि-" मैं वेतांबिंका नगरी प्रमुख सातहजार ग्रामों को चार विभागों में विभक्त करूंगा. "एकं भागं बलवाहणस्स दल इस्सामि-" इन में से एक भाग तो बल-और वाहन के लिये दूंगा. “एगे भागे, कुठागारे छुभिस्सामि-' दूसरा भाग काष्ठागार में प्रजापालन के लिये रक्खूगा. “एगं भागं अंतेउरस्स दलइस्सामि-" एक भाग को तीसरेको मैं अन्तःपुर रक्षा के लिये दूंगा. "एगेणं-भागेणं महइमहालयं कूडागारसालं करिस्सामि-' एक भाग से चौथे से मैं एक बहुत ही विशाल कूटागारशाला बनवाऊंगा -"तत्थ ण वहहिं पुरिसेहिं दिन्नभइभत्तवेयणेहिं विउल असणं पाण" नाइमं साइम उवकरस्नडावेत्ता वहूर्ण समग-मारहण-भिकखुयाणं पंथिय पहियाण परिभाएमाणे-" उसमें जनेक पुरुषो को सवेतनिक रूपमें रक्खूगा. "तए ण पएसी केसिं " इत्यादि ॥१६॥ सूत्रार्थ-'तए ण' त्या२ पछी 'पएसी' प्रहेसन्तये 'केसि कुमारसमणं एवं वयासी' शी भा२ श्रमणुन मा प्रमाणे प्रयु. “णो खलु भते ! अहं पुचि रमणिज भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविस्सामि जहा वणसंडेइ वा जाव खलवाडेइ वा" 3 महत ! ( पडता रमणीय धन वे वनष 3 यावत् पानी म २०२भ||य नहि. "अहं सेविया नयरी पमुक्खाई सत्तगामसहस्साई चत्तारि भागे करिस्सामि" श्वेतवा नगरी प्रभु सात st२ ॥मान - यार मागोमा विभाति , “एकं भागं वलवाहणस्स दलंइस्सामि" मामांथी मे मा मस (सेना) मन वाईन भाट मापीश. "एगे भागे कुट्टागारे छभिस्साभि माने माम प्र पान माटे हो २१भीश. "एगं भाग अंतेउरस्स दलइस्सामि". alon मे भागने मन्त:पुरनी २क्षा भाटे ..मापाय, “एगेणं भागेणं महइमहालय : कूडागारसालं करिस्सामि" याथा - elkatथी हुने वि ॥२॥२ .avn ristी. "तत्थ णं वहूहिं पुरिसेहिं दिन्नभइभत्तवेयणेहिं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं - उवक्खडावेत्ता बहूणं समणमाहणभिक्खुयाणं पंथियपहियाणं परिभाएमाणे" तमा धा ५३वाने पा२ २माधान નીમીશ. તેઓ ત્યાંજ જમશે. તે માણસો પાસેથી હું વિપુલ માત્રામાં અશન–પાન

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