Book Title: Rajprashniya Sutra Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 444
________________ ३९४ राजप्रश्नीयसूत्रे म्बन्धिपरिजनस्य पुरत एवं वदिष्यतः-यरमात् खलु देवानुप्रियाः ! आवयोः अभिमन् दारके गभंगते एवं सति धमे दृढा प्रतिज्ञा जाता तद् भवतु खलु आवयोः एप दार को दृढ तिज्ञो नाग्ना। ततः खलु तस्य दारकस्य अम्बापितरौ नामधेयं करिष्यतः दृढप्रतिज्ञ इति । ततः खलु तस्य अम्बोपितगै अनुपूर्वेण स्थितिपतितां च १, चन्द्रसूर्यदर्शनिकां च २, धर्मजागरिकां च ३, नाम समाणिस्संति-" भोजन कर चुकने के अनन्तर फिर वे अपने-अपने उपवेशन (वेटने के) स्थानपर बैठ कर शुद्ध जल से आचमन कर चोखे होंगे, इस तरह . परमशुचिभृत हुवे वे-मित्र, ज्ञाति, निजक स्वजन, सम्बन्धि परिजनों को विपुल वरन गन्ध माल्य अलङ्कारों से सत्कृत करेंगे । एवं-मानपूर्वक उनका आदर करेंगे-“त सेव मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणरस पुरओ एवं वइस्सति-" फिर वे-उन्हीं मित्र-ज्ञा त-निजक-स्वजन सम्बन्धी परिजनों के समक्ष इस प्रकार कहेंगे-"जम्हाणं देवाणुप्पिया ? अम्हं इमंसि दारगसि गभगयंसि चेव समाणसि धम्मे दृढा पडण्णा जाया-" हे देवानुप्रियो ? जिस कारण से इस दारक के गर्भ में आते ही हम लोगों की धर्म में दृढ प्रतिज्ञा हुवी, "ते होऊण अम्हं एस दारए दढपण णामेणं-" इस कारण यह हमारा दारक दृढप्रतिज्ञ इस नामवाला हो-"तएणं तस्स दारगास अम्मा पियरो नामधेनं करिस्संति दढपइण्णेत्ति-" इस तरह उन दारक के मातापिता उसका दृढ प्रतिज्ञ ऐसा नाम करेंगे। "तएणं तस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेणं टिइडियं च-१ चंदसरियदसणावणियं च संमाणिरसति" लोन मा तया पातपाताना 6वेशन स्थान५२ मेसीन शुद्ध જળથી આચમન કરીને પવિત્ર થશે. આ પ્રમાણે પરમશુચિભૂત થયેલા તે મિત્ર, જ્ઞાતિ, નિજક, સ્વજન, સંબંધી પરિજનને વિપુલ વસ, ગંધ, માલ્ય અલંકારોથી सत्कृत ४२. अने सम्मानपूर्व तेमनी मा६२ ४२d "तस्सेत्र मित्तणाइणियग सयणसंबंधिपरिजणस्स पुरओ एवं वहस्संति" पछी तया ते भित्र ज्ञाति निxs स्वनी परिनानी सामे २॥ प्रमाणे शे-"जम्होणं देवाणुप्पिया ! अम्हं इमंसि दारगसि गभगयसि चेव समास घम्मे दृढा पइण्णा जाया." દેવાનુપ્રિયે ! આ દારક જ્યારથી અમારા ગર્ભમાં આવ્યું છે ત્યારપછી અમારી भनभा धर्म प्रत्ये ६८ प्रतिज्ञा भी छ. "तं हेऊणं अम्हं एस दारए दृढ़पण णामेण" माथी अभा। सौ १२५ १८ प्रतिज्ञ RA नामवाणी थाय. "तएणं तरस दारगास अम्मापियरो नामधेज्जं करिसंसि दढपइण्णोति" मा प्रभार) ते दा२४ना भातापिता तेनु प्रति मे नाम रामशे. "तएण• तस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेण टिइवडियं च १ चंदमूरियदसणावणियं च २ धम्मजागरिय

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