Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011
Author(s): Saritashree  Sadhvi, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 11
________________ | वसुमती ने कहा बस! बस ! मैं समझ गयी। मैं आपके साथ नहीं जाऊँगी। जिस इच्छा से आप मुझे खरीद रही हैं वह कार्य मैं स्वप्न में भी नहीं कर सकती। चलो ! ले चलो इसे... मैं पूरी कीमत देकर तुझे खरीद रही हूँ । तू मेरी गुलाम है राजकुमारी चन्दनबाला हे प्रभु! मेरे शीलधर्म की रक्षा करो। णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं Jain Education International वह भीड़ से बोली वह स्त्री नगर नायिका (वेश्या) थी। वह जबरदस्ती अपने दास दासियों की सहायता से वसुमती को ले जाने लगी। आप लोगों के सामने मैं इसका पूरा मूल्य दे कर खरीद रही हूँ। नियमानुसार इसे मेरे साथ जाना ही पड़ेगा। हाँ । हाँ । यह ठीक कह रही है। For Private & Personal Use Only 50 वसुमती आँखें बंद कर णमोकार मन्त्र का स्मरण करने लगी। www.jainelibrary.org

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