Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011
Author(s): Saritashree Sadhvi, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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राजकुमारी चन्दनबाला
सेठमी वसुमती की कार्यकुशलता से बहुत प्रभावित | वसुमती ने कुछ देर सोच कर कहाहुए। एक दिन उन्होंने वसुमती से पूछा
पिताजी ! मेरे दो नाम हैं। बेटी! तुझे यहाँ आए
माता-पिता मुझे वसुमति कहते थे इतने दिन हो गये किन्तु
तथा नाना चंदनबाला। आप चाहें मैं तेरा परिचय न जान सका।।
मिस नाम से पुकार सकते हैं। तेरा नाम क्या है?
सेठ जी बोले
नाम सुन वसुमती अपने नाना की स्मृति में खो। गयी। उसे विचार मग्न देख सेठजी ने कहा
बेटी! तेरा स्वभाव चंदन के समान शीतल है अतः मैं तेरा नाम चंदनबाला ही लूँगा।
किस विचार में पड़ गयी बेटी?
विचार में नहीं पिताजी । मैं अतीत की मधुर स्मृतियों में खो गयी थी।
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