Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011 Author(s): Saritashree Sadhvi, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 32
________________ राजकुमारी चन्दनबाला सेवकों ने राजा के लिये मार्ग बनाया। वे चंदनबाला के निकट पहुंचे। तभी भीड़ में से किसी ने कहा CIAS (अरे! यह चंदनबाला तो चंपा) नरेश रामा दधिवाहन की पुत्री वसुमति है। लगन्ध का वसन्त LETTES जैसे ही ये शब्द रानी मृगावती ने सुने उसने | ध्यान से चंदनबाला को देखा। फिर मुड़कर राजा शतानीक से बोली स्वामी! यह तो मेरी बहन धारणी की पुत्री है। स्वामी! आपको चंपा पर चढ़ाई करने से कितना रोका था मैंने! किन्तु आप न माने। देखा आपकी चंपा की लूट का परिणाम कितना भयंकर हुआ। मेरी बहन की पुत्री को कितने कष्ट उठाने पड़े। विवश यह सुनकर राजा को बहुत दुःख हुआ। iex 30 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.orgPage Navigation
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