Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011
Author(s): Saritashree Sadhvi, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
View full book text
________________
राजकुमारी चन्दनबाला
इस महादान की महिमा करने के लिए देवराज इन्द्र अपने देव परिवार के साथ धरा पर आये। उनकी दिव्य शक्ति के प्रभाव से राजकुमारी चन्दनबाला का सौन्दर्य पहले से भी अधिक निखर उठा। देवराज ने चन्दनबाला का अभिवादन किया
GODDA0.00
1200 60
000ரன்.
राजकुमारी ! आप अत्यन्त सौभाग्यशाली हैं। आपके हाथों आज एक महान तपस्वी के दीर्घ तप का पारणा हुआ है। हम आपके इस महादान का अभिनन्दन करते हैं।
चन्दनबाला हर्ष विभोर होकर बोली
Jain Education International
FUC
आज मेरे जीवन का सर्वोत्तम दिन है। सचमुच प्रभु दीनबन्धु हैं। जिन्होंने मुझ पर इतनी कृपा की है।
BRAR
देवराज की आज्ञा से देवताओं ने स्वर्ण सिंहासन बनाकर चन्दनबाला को उस पर बिठाया और दान की महिमा गाने लगे।
28
For Private & Personal Use Only
27
Pool
www.jainelibrary.org