Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011
Author(s): Saritashree  Sadhvi, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 29
________________ राजकुमारी चन्दनबाला हर्ष वेग में भरकर चंदनबाला ने प्रभु के कर-पात्र में सारे बाकुले डाल दिये। प्रभु के आहार ग्रहण करते ही चंदना की बेड़ियाँ-हथकड़ियाँ स्वतः ही टूट कर गिर गयीं। आकाश से देव दुन्दुभि बजने लगी। अहोदानं-अहोदानं का दिव्य स्वर गूंज उठा। अहोदानं !अहोदाने!) प्रभु ने आहार SUATग्रहण कर लिया। गगना AA Jain Education International 27 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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