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राजकुमारी चन्दनबाला
हर्ष वेग में भरकर चंदनबाला ने प्रभु के कर-पात्र में सारे बाकुले डाल दिये। प्रभु के आहार ग्रहण करते ही चंदना की बेड़ियाँ-हथकड़ियाँ स्वतः ही टूट कर गिर गयीं। आकाश से देव दुन्दुभि बजने लगी। अहोदानं-अहोदानं का दिव्य स्वर गूंज उठा।
अहोदानं !अहोदाने!)
प्रभु ने आहार SUATग्रहण कर लिया।
गगना
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