Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011
Author(s): Saritashree  Sadhvi, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ राजकुमारी चन्दनबाला आवाज सुनकर चंदनबाला तुरन्त एक लोटे में। पानी लेकर आई। एक दिन धनावाह सेठ थके हारे बाहर से आये। आते ही उन्होंने चन्दनबाला को आवाज लगाई। बेटी चंदना ! पाँव धोने के लिये पानी तो लाना। लाइये पिताजी ! मैं आपके पाँव धो दूँ। चंदनबाला सेवा भाव से सेठ के पैर धोने लगी। उसके बाल खुलकर मुँह पर आ गये। सेठ वात्सल्य पूर्वक मुँह पर से बाल हटाने लगा। तभी सेठानी मूला वहाँ से गुजरी उसने यह दृश्य देखकर गलत अर्थ लगाया। ओह ! तो यह प्रेमलीला चल रही है। इस पापिनी ने सेठ जी पर अपने रूप का जाल डाल दिया है। मुझे तुरन्त ही कोई उपाय करना पड़ेगा...वरना यह शीघ्र ही इस घर की मालकिन बन जायेगी। 16 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38