Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011 Author(s): Saritashree Sadhvi, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 23
________________ रामकुमारी चन्दनबाला उसने इसे चंदनबाला की ढिठाई समझा वह सीधी | | उसने चंदमा के हाथ-पैर सांखलों से बाँध दिये।। अंदर गयी और दो भारी-भारी सांकले और ताले ले आई और क्रूरता से हंसते हुए बोली अब मैं तुझे इन सांकलों में बाँधकर तहखाने में डाल दूंगी तब मुझे शांति मिलेगी। और उसे घसीटकर तहखाने की सीढ़ियों पर धकेल दिया और गुस्से से बोली-1 फिर ऊपर आकर तहखाने के द्वार पर ताला लगा दिया जा! अब यहीं तेरी समाधि बनेगी। अब किसी को पता भी नहीं चलेगा कि यह कहाँ गई। E JA SIS Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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