Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011
Author(s): Saritashree  Sadhvi, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 17
________________ राजकुमारी चन्दनबाला वसुमती ने सेठ जी से कहा पिताजी ! इस नाम से मुझे प्रेरणा मिलती रहेगी। यही कि, कैसी भी विषम परिस्थिति हो, कितने भी संकट आए चन्दन के समान शीतल-शान्त बने रहो। कैसी प्रेरणा बेटी! तू धन्य है बेटी। जो नाम | में भी गुण खोज लेती है। उस दिन के बाद सभी लोग वसुमति को। चन्दनबाला के नाम से पुकारने लगे। चंदनबाला अतिथियों का विशेष सत्कार करती। शेष समय धार्मिक आराधना में मग्न रहती थी। धीरे-धीरे चारों ओर उसकी कीर्ति फैलने लगी इतनी अल्पायु में ऐसी धार्मिकता एवं विवेक सराहनीय है। यह किसी बड़े खानदान की लगती है। चन्दनाबाला की बढ़ती कीर्ति से सेठानी जल-भुन गई। यह सभी को अपने वश में कर लेगी और एक दिन इस घर की स्वामिनी बन बैठेगी तब मेरी दुर्दशा कर देगी। (इस काँटे को साफ करना चाहिए। वह चन्दनाबाला को नीचा दिखाने के लिये कोई योजना सोचने लगी। 15 in Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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