Book Title: Rajkumari Chandanbala Diwakar Chitrakatha 011
Author(s): Saritashree Sadhvi, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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राजकुमारी चन्दनबाला
तभी अचानक चारों ओर से बंदरों ने नगर नायिका के सेवकों पर हमला कर दिया। वे घुर्र-घुर्र कर उन पर झपट पड़े। कुछ बंदर नगर नायिका को बुरी तरह काटने लगे। चारों ओर भगदड़ मच गयी। जिसे जहाँ जगह मिली भागा।
णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं
नगर नायिका बुरी तरह चीख रही थी। उसकी दुर्दशा देख वसुमती से रहा न गया। वह बंदरों को डांटते हुए बोली
अरे बचाओ! कोई बचाओ मुझे !
यह क्या कर रहे हो कपिराज ! भागो! माताजी को मत काटो।
बंदर जैसे वसुमती की भाषा समझ गये। वे तुरन्त भाग गये।
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वसुमती ने नगर नायिक को आगे बढ़कर सहारा दिया। उसके स्पर्श से ही नगर नायिका की आधी पीड़ा कम हो गयी।।
बेटी । तुमने तो मुझे बचा लिया।
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ओह! माताजी! मेरे कारण आपको कितनी तकलीफ हुई?
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