Book Title: Rajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Author(s): Devebhdra Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ राजकुमार श्रेणिक | फिर उसने कन्या से पूछा KANIAMONAKASHATTIAHINIFFANW उस पहाड़ी पर हमारी छोटी-सी कुटिया है। चलो तुम रातभर वहीं विश्राम कर लेना। (यहाँ से कुशाग्रपुर कितना दूर है? अरे बाबा, कुशाग्रपुर तो यहाँ से बहुत दूर है, अब तो अंधेरा भी घिर रहा है, तुम इस बीहड़ वन में रात को भटक जाओगे। TEAM नलाल GU INISOLAN राजा प्रसेनजित ने अपना परिचय दिया और पूछा कन्या प्रसेनजित को अपनी कुटिया के पास ले आई। उन्हें देखकर कुटिया में से एक सुदृढ़ शरीर वाला व्यक्ति बाहर आया। उसने आगे बढ़कर राजा प्रसेनजित का स्वागत किया। यह लड़की कौन है? । यह मेरी इकलौती fauपुत्री तिलकवती है। इस भील पल्ली का स्वामी यमदण्ड आपका स्वागत करता है। HALINGANA राजा प्रसेनजित ने रात भर वहीं कुटिया में विश्राम किया। For Priva3 Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38