Book Title: Rajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Author(s): Devebhdra Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 24
________________ F5507 एक दिन श्रेणिक और सुभद्र सेठ घूमते हुए घर के पिछवाड़े के बाड़े में चले गये। वहाँ लाल बालू का ढेर देखकर सेठ नें सेवकों को डाँटा यह रेत यहाँ क्यों रखी है? इसे बाहर फैंक कर घर की सफाई करो। कुछ दिन बाद एक विदेशी व्यापारी (बनजारा) वेणातट नगर में आया। उसने वहाँ के राजा से प्रार्थना की 'महाराज, मुझे तेजंतरी बालू की जरूरत है, जिस 60 किसी के पास हो, मैं मुँहमाँगी कीमत देकर लेना चाहता हूँ। in Education International राजकुमार श्रेणिक सेठ जी, विदेशों से आये हुए जहाजों की सफाई में यह बालू रेत निकली है, लाल-लाल चमकदार कण देखकर हमने यहाँ ढेर लगा दिया है। ΟΙ Ο OIC श्रेणिक ने बालू कण हाथ में लेकर देखा, उसने सेठ से कहा- सेठ जी, यह तेजंतरी बालू है। पारस पत्थर के कण इस में मिले हुए हैं इसे फिक वाइये मत, अपने गोदाम में सुरक्षित रखवा दीजिए। SRIDE सुनकर सेठ चकित हो गया। सेठ के आदेश से घड़ों में भरकर रेत गोदाम में सुरक्षित रख दी गई। राजा ने नगर में घोषणा करवा दी 22 For Private & Personal Use Only जिस किसी भाग्यवान के पास तेजंतरी बालू हो, वह महाराज को सूचित करे। उसे मुँहमाँगी कीमत दी जायेगी। MAYE www.jainelibrary.org

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