Book Title: Rajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Author(s): Devebhdra Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ राजकुमार श्रेणिक एक दिन कुशाग्रपुर के राज-भवन में आग लग गई। राजा ने घोषणा की करवाई- 000000000000 सभी लोग अपनीअपनी प्रिय वस्तु लेकर निकल भागो! राजा प्रसेनजित ने देखा Jan Education International 1924 श्रेणिक ने अपनी जान जोखिम में डालकर राजचिन्हों की रक्षा की है, यही इस राज्य की रक्षा कर सकता है। 000/ कोई राजकुमार अपने वस्त्र, कोई भोजनसामग्री, कोई धन, कोई कुछ लेकर भागा। श्रेणिक छत्र, चंवर और भंभा (भेरी) लेकर निकल आये। 1000000 12 For Private & Personal Use Only 51 परन्तु खुशी छुपाकर उपहास के स्वर में राजा बोले 1000004 Tuka वाह रे श्रेणिक ! कैसे मूर्ख हो तुम, सभी अपना-अपना प्यारा सामान ये लेकर आये और तुम फालतू वस्तुयें...? www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38