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राजकुमार श्रेणिक
एक दिन कुशाग्रपुर के राज-भवन में आग लग गई। राजा ने घोषणा की करवाई-
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सभी लोग अपनीअपनी प्रिय वस्तु लेकर निकल भागो!
राजा प्रसेनजित ने देखा
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1924
श्रेणिक ने अपनी जान जोखिम में डालकर राजचिन्हों की रक्षा की है, यही इस राज्य की रक्षा कर सकता है।
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कोई राजकुमार अपने वस्त्र, कोई भोजनसामग्री, कोई धन, कोई कुछ लेकर भागा। श्रेणिक छत्र, चंवर और भंभा (भेरी) लेकर निकल आये। 1000000
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परन्तु खुशी छुपाकर उपहास के स्वर में राजा बोले
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वाह रे श्रेणिक ! कैसे मूर्ख हो तुम, सभी
अपना-अपना प्यारा सामान ये
लेकर आये और तुम फालतू वस्तुयें...?
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