Book Title: Rajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Author(s): Devebhdra Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 21
________________ सेठ ने कहा अच्छा, तू भी तो बड़ी सयानी है, रज में तज निकाल लेती है। बता क्या मतलब है उसकी बातों का ? पिताजी, उसने आपको मामा बनाया, मतलब हुआ उसकी माँ, बड़ी सती साध्वी है, जगत् के सब पुरुष उसके भाई हुए क्यों हैं न ? 1913) इसी प्रकार बँधी स्त्री और खुली स्त्री का मतलब साफ है, यदि वह स्त्री विवाहिता थी, तो बँधी थी। पति की राजकुमार श्रेणिक मार सहकर भी छोड़कर नहीं जा सकती। यदि रखैल (खुली) होती तो मार खाकर भाग भी सकती थी। 日 सेठ ने सिर खुजाया नहीं पिताजी, देखिए मैं बताती हूँ उसका रहस्य । जिह्वा रथ का मतलब तो उसने बता ही दिया। हाँ, यह बात तो ठीक है, परन्तु आगे की बातें तो बड़ी ऊट-पटांग थीं न ? MOT बेटी, लगता है यह तेरी जोड़ी का है। विलक्षण बुद्धिमान पुरुष है। मैं तो उसे पिंड छुड़ाने के लिए गाँव के बाहर ही छोड़ आया हूँ। DEWAL नंदा ने सब बातों के रहस्य प्रकट किये तो सेठ बड़ा विस्मित हुआ ? बोला YO विलक्षण बुद्धिमान पुरुष को तो अपना अतिथि बनाना चाहिए। बालू में चलते समय जूते उतारने का मतलब है, बालू भर जाने से जूते भारी हो जाते हैं, फिर चलना कठिन होता है अतः जूते उतारकर चलना उसकी 19 युद्ध का परिचय है। पानी में जूते पहन कर चलने से पानी के भीतर छुपे कंकर-काँटे, छोटे-मोटे जीव-जंतु पैर को क्षति नहीं पहुँचा सकतेillborkargr

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