Book Title: Rajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Author(s): Devebhdra Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ सुभद्र को चुपचाप चलते देखकर श्रेणिक ने कहा युवक ! यह कौनसा रथ होता मामा, यदि हम जिह्वा रथ पर सवार होकर चलें तो रास्ता जल्दी कटेगा। श्रेणिक हँसकर बोला मेरा मतलब है बातें करते हुए चलें तो रास्ता आराम से कटेगा। थकावट भी नहीं आयेगी। Jain Education International है? फिर तुम्हारे पास तो कुछ है भी नहीं। 0000 SAMA 337 TELY राजकुमार श्रेणिक www लगता तो बड़ा तेज और बुद्धिमान है। श्रेणिक हँसकर बोला मामा ! दीखने में तुम बड़ी उम्र के अनुभवी लगते हो। परन्तु जिह्वा रथ का मतलब नहीं जानते? AL חד चलते-चलते दोपहर हो गई। श्रेणिक बोला ZANI 24452 MING 1250 नहीं ! मैने तो ऐसा रथ कभी नहीं देखा। मामा ! | भूख लग गई है। सामने गाँव दीख रहा है ! वहाँ चलें। For. P. 14 & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38