Book Title: Rajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Author(s): Devebhdra Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 18
________________ राजकुमार श्रेणिक. दोनों यात्री आगे चले तो देखा कि एक खेत में कोई पुरुष एक स्त्री को पीट रहा है! स्त्री मार खा रही है और रोती जा रही है। श्रेणिक ने पूछा 艺 VAMINE मामा ! यह मार खाने वाली स्त्री बँधी है या खुली ? www MM ANTI Jain Education International Polye कुछ दूर आगे चले तो एक नदी आ गई। नदी में पानी कम और दोनों किनारों पर बालू अधिक थी। बालू में चलते समय श्रेणिक ने अपने जूते उतार कर हाथ में ले लिये। सुभद्र हँसने लगा। A 11 ife 7544 सुभद्र ने माथा ठोका 10 Se For Pril 6 & Personal Use Only viy अरे! मैं तो w hud समझ रहा था यह युवक बुद्धिमान है, परन्तु यह तो निरा बुहू लगता है। 000000 MM PAUDW मामा ! क्या बात है ? आप क्यों हँसे ? NADA फिर भी वह चुप रहा। जब गहरा पानी आया तो सुभद्र ने अपने जूते उतारे, परन्तु श्रेणिक ने जूते पाँवों में पहन लिये। यह देखकर तो वह खूब जोर से हँस पड़ा। श्रेणिक समझ गया, फिर भी पूछा MM Mind kin कुछ नहीं भानजे ! यूँ ही कुछ हँसी आ गई। www.jainelibrary.org

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