Book Title: Rajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Author(s): Devebhdra Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 7
________________ प्रसेनजित भावना में बह गये। कर्तव्य पर काम का, विवेक पर वासना का भूत सवार हो गया, वे बोले 365 हम वचन देते हैं भीलराज, तिलकवती की सन्तान ही हमारी उत्तराधिकारी होगी। राजकुमार श्रेणिक यमदण्ड तुरत-फुरत में अपनी पल्ली के साथियों को बुलाया। सबकी साक्षी में तिलकवती ने राजा के गले में वरमाला डाल दी। my (ক.ন राजा प्रसेनजित का वचन लेकर यमदण्ड सन्तुष्ट हो गया। प्रसेनजित तिलकवती को साथ लेकर नगर लौट आया। कुछ समय बाद तिलकवती ने एक पुत्र को जन्म दिया। जिसका नाम रखा गया चिलाती कुमार। श्रेणिक आदि राजकुमारों के साथ चिलाती कुमार को भी शिक्षण प्राप्त हुआ। युवा होने के साथ-साथ उसके स्वभाव की कठोरता, क्रूरता और उद्दण्डता बढ़ती गई। n Education International चिलाती कुमार इतनी निर्दयता से इसे मत पीटो। इसने राज कर की चोरी की है। मैं इसकी खाल खींच लूँगा। For Private & Personal Use Only VAGE GE Mod 90 www.jainelibrary.org

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