Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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प्राकृत-व्याकरण सूत्रानुसार-विषयानुक्रमणिका
प्रथम पादः क्रमांक विषय
सूत्रांक पृष्ठांक प्राकृत-शब्द आधार और स्वर व्यञ्जनादि विकल्प-सिद्ध सर्व शब्द संग्रह
आर्ष-रूप-संग्रह स्वरों की दीर्घ-हस्व-व्यवस्था स्वर संधि
५ से ९ स्वर अथवा व्यञ्जन की लोप-विधि
१० से १४ १६ शब्दान्त्य-व्यञ्जन के स्थान पर आदेश-विधि अनुस्वार-विधि अनुस्वार-लोप-विधि शब्द-लिंग-विधान विसर्ग-स्थानीय'ओ' विधान "निर और प्रति' उपसर्गों के लिए उपविधान अव्ययों में लोप विधि
४० से ४२ हस्व-स्वर से दीर्घ स्वर का विधान
४३ से ४५ 'अ' स्वर के स्थान पर क्रम से 'इ-अइ-ई-उ-ए-ओ-उ-आ-आई-" प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
४६ से ६५ 'अस्वर का वैकल्पिक रूप से लोप-विधान __ 'आ' स्वर के स्थान पर क्रम से 'आ-इ-ई-उ-ऊ-ए-उ और औ-ओ' प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
६७ से ८३ दीर्घ स्वर के स्थान पर हस्व स्वर की प्राप्ति का विधान __ 'इ' स्वर के स्थान पर क्रम से 'ए-अ-ई-इ-उ-'उ और ओ', प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
८५ से ९७ 'न' सहित 'इ'के स्थान पर 'ओ' प्राप्ति का विधान
९८ 'ईस्वर के स्थान पर क्रम से 'अ-आ-इ-उ-ऊ-उ-ए' प्राप्ति का विविध रूप से संविधान ९९ से १०६ 'उ' स्वर के स्थान पर क्रम से 'अ-इ-ई-ऊ-ओ' प्राप्ति का विविध रूप से संविधान १०७ से ११८ 'ऊ' स्वर के स्थान पर क्रम से अ-ई-इ-उ-तथा 'इ और ए' की तथा 'ओ' की प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
११९ से १२५ 'ऋ' स्वर के स्थान पर क्रम से 'अ-आ-इ-उ-'इ एवं उ तथा उ-ऊ-ओ, इ-उ, इए-ओ, रि और 'ढि' की प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
१२६ से १४४ 'ल' के स्थान पर 'इलि' आदेश प्राप्ति का विधान
१४५ 'ए' स्वर के स्थान पर क्रम से 'इ-ऊ' प्राप्ति का विधान
१४६ से १४७ 'ऐ' स्वर के स्थान पर क्रम से 'ए-इ-अइ 'ए और अइ' अ अ तथा ई प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
१४८ से १५५ ११५ "ओ" स्वर के स्थन पर वैकल्पिक रूप से "अ" की तथा "ऊ और अउ' एवं 'आअ' की प्राप्ति का विविध रूप से संविधान
१५६ से १५८ १२१
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