________________ इन सब आधारों पर हम यह कह सकते हैं कि सूत्रकृतांग में उल्लिखित रामपुत्त (रामगुप्त) समुद्रगुप्त का ज्येष्ठ पुत्र रामगुप्त न होकर पालि त्रिपिटक साहित्य में एवं इसिभासियाई में उल्लिखित रामपुत्त ही है, जिससे बुद्ध ने ध्यान-प्रक्रिया सीखी थी। संदर्भ - आहेसु महापुरिसा पुव्विं तत्त तवोधणा। उदएण सिद्धिमावन्ना तत्थ मंदो विसीयति॥ अंभुजिया नमी विदेही रामगुप्ते ये भुंजिया बाहुए उदगं भोच्चा तहा नारायणे रिसी आसिले देविले चेव दीवायण महारिसी परासरे दगं भोच्चा बीयाणि हरियाणि य। - सूत्रकृतांग, 1/3/4/1-3 Some Eithical Aspects of Madhayana Buddhism as depicted in the Sutrakrtanga, Page 2 (यह लेख All India Seminar on Early Buddhism and Mahayana-- Deptt. of Pali and Buddhist Studies, B.H.U. Nov. 10, 1984 में पढ़ा गया था।) भगवतोऽर्हतो चंद्रप्रभस्य प्रतिमेयं कारिता। महाराजाधिराज श्री रामगुप्तेन उपदेशात्। जैनसाहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-१, पृ. 51-52 तथा सेक्रेड बुक्स ऑफ दी ईस्ट, भाग-२२, प्रस्तावना, पृ. 31 सूत्रकृतांग, 1/3/4/2-3 एते पुव्वं महापुरिसा अहिता इह सम्मता। भोच्चा बीओदगं सिद्धा इति मेयमणुस्सु॥ 3.