Book Title: Prakrit Agam evam Jain Granth Sambandhit Aalekh
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 186
________________ हेतु एकत्र हो जाते हैं। दोनों आचार सम्बंधी मतभेदों तथा आध्यात्मिक साधना की विभिन्न समस्याओं पर खुलकर विचार-विमर्श करते हैं। दोनों का श्रावस्ती में यह सौहार्दपूर्ण मिलन ही पार्श्व और महावीर की परम्पराओं के बीच समन्वय सेतु बना। इसी प्रकार, श्रावस्ती स्कन्दक नामक परिव्राजक और भगवान महावीर के पारस्परिक मिलन का और लोक, जीव, सिद्धि आदि सम्बंधी अनेक दार्शनिक प्रश्नों पर चर्चा का स्थल भी रहा है। भगवतीसूत्र में प्राप्त उल्लेख के अनुसार श्रावस्ती नगर में आचार्य गर्दभिल्ल के शिष्य कात्यायनगोत्रीय स्कन्दक परिव्रांजक निवास करते थे। उसी नगर में निर्ग्रन्थ वैशालिक अर्थात् भगवान् महावीर का श्रावक पिंगल भी निवास करता था। पिंगल और स्कन्दल के बीच लोक, जीव और सिद्धि की सान्तता और अनन्तता पर चर्चा होती है। स्कन्दक इस चर्चा के समाधान के लिए स्वयं श्रावस्ती के निकट ही स्थित कृतमंगलानगर, जहां पर भगवान् महावीर और गौतम विराजित थे, वहां जाता है। गौतम महावीर के निर्देश पर स्कन्दक परिव्राजक का समादरपूर्वक स्वागत करते हैं, उसे महावीर के समीप ले जाते हैं और दोनों में फिर इन्हीं प्रश्नों को लेकर विस्तार से चर्चा होती है। अंत में, स्कन्दक महावीर के विचारों के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं। . इस प्रकार हम देखते हैं कि जहां एक ओर श्रावस्ती महावीर की अपनी परम्परा में ही उत्पन्न विद्रोह का नगर है, वहीं दूसरी ओर महावीर की परम्परा का अन्य परम्पराओं के साथ कितना सौहार्दपूर्ण व्यवहार था, इसका भी साक्षी स्थल है। वस्तुतः, ऐसा लगता है कि श्रावस्ती के परिवेश में विचार-स्वातन्त्र्य और पारस्परिक सौहार्द के तत्त्व उपस्थित थे। इस नगर के नागरिकों की यह उदारता थी कि वे विभिन्न विचारधाराओं के प्रवर्तकों को समान रूप से समादर देते थे। मात्र यही नहीं, उनमें होने वाली विचार चर्चाओं में भी सहभागी होते थे। श्रावस्ती को हम विभिन्न धर्म- परम्पराओं की समन्वय स्थली कह सकते हैं। ____ आगमिक सूचनाओं के अनुसार श्रावस्ती नगर के बाहर बहने वाली उस अचिरावती नदी में जल अत्यंत कम होता था और जैन साधु इस नदी को पार करके भिक्षा के लिए आ जा सकते थे, यद्यपि वर्षाकाल में इस नदी में भयंकर बाढ़ भी आती थी। इस प्रकार, जैन धर्म की अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाएं श्रावस्ती के साथ जुड़ी हुई हैं, फिर भी यदि तुलनात्मक दृष्टि से विचार करें, तो बौद्ध साहित्य के

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