Book Title: Porwar Mahajano Ka Itihas
Author(s): Thakur Lakshmansinh Choudhary
Publisher: Thakur Lakshmansinh Choudhary

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Page 12
________________ इस पुस्तक में पोरवाड महाजनों का एकत्रित इतिहास दिया गया है। आजकल इस ज्ञाति का भिन्न भिन्न प्रदेशों में निवास है । इन सब प्रांतों से सामुग्री एकत्रित न होसकी, और समाचार पत्रों में प्रसिद्ध करते हुए भी न किसीने भेजी अतएव यदि समाज में इस पुस्तक का योग्य आदर हुआ और इसका द्वितीय संस्करण प्रकाशित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो उसमें रही सही तृटियों की परिपूर्ति अवश्य करदी जावेगी। पोरवाड ज्ञाति के लोक अधिकतर गुजरात, मारवाड, मालवा में हैं । दक्षिण और पूरब ( हिंदुस्थान ) कहाने वाले भारत के प्रदेश में बहुत कम प्रमाण में हैं किंतु गुजरात में गुजराती तथा मारवाड मेवाड में उस २ प्रांत के ढंग की भाषा रीति रिवाज रहन सहन इन लोगोंकी है; परंतु दक्षिण तथा मालवा में पोरवाडों की भाषा रहन सहन आदिमें दो भेद दिखाई देते हैं। हैं सब पोरवाड, परंतु कोई की भाषा मारवाडी मिश्रित और कोईकी गुजराती मिश्रित है। रहन सहन कपडे अलंकार रीति रिवाज में भी ऐसाही भेद हगोचर होता है। देवास के प्रसिद्ध चौधरी कुल के एक घर में प्रायः एक शताब्दि पूर्व चोरी हुई थी तब चोरी के अलंकारों की नामावली में सुवर्ण के ४०) तोले के पायल लिखे हैं। यह सिद्ध करता है कि इस कुल के लोक प्रायः

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