Book Title: Porwar Mahajano Ka Itihas
Author(s): Thakur Lakshmansinh Choudhary
Publisher: Thakur Lakshmansinh Choudhary
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समग्र साजनो भोजन करे छे मुख्य गृहस्थ हर्षमां बेठा वार्ता करे छे, त्यां तेणे आवी चोरासी साजनानी आज्ञा कही-मांगी बे हाथ जोडी माताए जे विपरित वात [ पोतानी माने नातलं करवानी रजा आपवा ] कही हती ते बधी वात सकल साजन ने करी, त्यारे तेने साजनाए कहथु, रे तुं कोण घर ? आपत्तन मां मुख्य थईने आ केवी वात कही ? लाजतो नथी ? एटले तेणे मंत्रीनी उप्तत्ति सघली वृद्ध गृहस्थो पासे प्रकाशी। आसांभळी सकल लज्जावंत थया । चित्तमां सदेह पेठो। सकलसमाज ने तेनी वृद्ध माता ने पूछयूं तेगीए कहयुं मुख्य घरे नोतरूं नहीं अने तेने तमे द्रव्य खातर गया, पण तमे सकल साजनो जई बरुडी गाममां तेनी उत्पत्तिना कारक श्री भुवनचंद्र गुरु सप्त गोत्री आने पूछो। तेथी साजनाए बधूं गुरु ने पूछयूं त्यारे श्री गुरुए यथार्थ वात कही दीधी। एटले ते पाटणे आव्या मंत्री नी वात माहो माही कहेवातां नगरमां अने अन्य गाम मां विस्तरी। एटले त्यांथी विक्रम संवत् १२७५ वर्ष मां मन्त्री वस्तुपाल अने तेज पाल थी प्राग्वाट लघुशाखा प्रगट थई। एटले, स्वज्ञातिना परज्ञातिना दुर्बल ग्रहस्तने भोजन मां तेडी कवले कवले सुवर्ण महोर दई स्वज्ञाति वधारी नाम राख्यू । सकल ज्ञाति लघुशाखा प्रगट थई । एटले श्री भुवनचंद्र सूरि विहार करता पाटण आव्या । महा महोत्सवे शालाए पधराव्या । त्यां चोमासु रह्या । मंत्री वस्तुपाल गुरु वचन थी पंचाश्वर

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