Book Title: Porwar Mahajano Ka Itihas
Author(s): Thakur Lakshmansinh Choudhary
Publisher: Thakur Lakshmansinh Choudhary

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Page 127
________________ में तो सैकडों योद्धा नियोजित किये जा सकते हैं, तुम उनसे अधिक क्या करोगे ? वस्तुपाल ने राजा को बहुत समझाया कि “ योग्य पुरुषों की योग्यता के आगे धन कुछ नहीं है। . परंतु राजा ने न माना और उन्हें विदा किये। निदान वे लोग भद्रेश्वर [ कच्छ ] के राजा भीमसेन [ भीमसिंह ] के पास चले गये। उसने इनको रखलिये और वीरधवल से युद्ध पुकाग । इस युद्ध में वीरधवल की हार हुई, किन्तु रक योद्धाओं ने वीरधवल का पान खाया होने से उसे छोड दिया, और ताना मारा कि आपके सेकडों योद्धा कहां हैं ? अंत में संधी हुई। वस्तुपाल तेजपाल को सोमेश्वर की हर जगह सहायता हुई है । जब वस्तुपाल धोलके में ठहरा था उसकी औषध शाला से उसके एक सेवक ने कूडा फेंका जो दैव वशात् उसी मार्ग से पालकी में बैठकर जाते हुए महाराजा विमल देव के मामा "सिंह" के सिरपर जा गिरा। उनको बहुत क्रोध आया, पालकी से उतर कर वह तुरंत उस स्थान में घुस गया। उसने उस सेवक को खूब पीटा, और कहा कि तुझे दीखता नहीं था कि मैं कौन हूं ? इधर मामा अपने घर गये और बेचारा सेवक रोता चिल्लाता वस्तुपाल के निकट पहुंचा, जो उस समय भोजन करने को बैठा ही था । मंत्री एकदम उठ खडा हुआ । सेवक को सांत्वना दी; परंतु गर्व में . चूर होकर गजा के मामा सिंह ने सेवक के अल्प अपराध

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