Book Title: Porwar Mahajano Ka Itihas
Author(s): Thakur Lakshmansinh Choudhary
Publisher: Thakur Lakshmansinh Choudhary

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Page 128
________________ पर कठोर दंड दिया यह मंत्री के लिये असहनीय था । उसने अपने सिपाहियों से कहा "क्या तुममें से ऐसा कोई है जो मेरे मनोदाह को दूर कर सके ? यह सुनकर 'भूणपाल' नामका क्षत्रीय बोला कि आप आदेश दीजिये मैं सेवा करने को तैयार हूं । वस्तुपाल ने कहा कि बस आदेश यही है कि तुम जेठुया [ जेठुआ ] वंशीसिंह का दाहिना हाथ काटकर ले आओ । उस वीर ने ऐसा ही किया। मंत्री ने उस हाथ को अपने मकान पर लटकवा दिया । इस भयंकर कार्य के दुष्परिणाम से वस्तुपाल अनभिज्ञ नहीं था। उसने आश्रितों से कहा कि, हमनें बलवान से महा वैर उप्तन्न कर लिया है। अब हमारी मृत्यु में कोई संदेह नहीं है। अतः हमारे साथ रहनेवालों में से जिनको अवश्यं भावि हानि से भय हो वे पहिले से यहां से चले जावें । उधर सिंह ने भी अपना दल जमाया । और वस्तुपाल को सकुटुंब मारने का विचार कर प्रस्थान किया । राजा को भी यह समाचार विदित हो गया उसने तुरंत सोमेश्वर को बुलाया और उस की सलाह ली, सोमेश्वर वस्तुपाल के पास गया और अपनी बुद्धिमानी से उस का सिंह से साथ मेल करा दिया और राजा को भी शांत कर दिया । - ये दोनो भाई बडेही नीति-कुशल, गुणी, वीर परोपकारी और विद्वानों का सत्कार करनेवाले हुए।

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