Book Title: Porwar Mahajano Ka Itihas
Author(s): Thakur Lakshmansinh Choudhary
Publisher: Thakur Lakshmansinh Choudhary

View full book text
Previous | Next

Page 134
________________ मि. फॉर्वेसने अपनी " रासमाला" में विमलशाह तथा वस्तुपाल तेजपाल के मंदिरों के संबंध में लिखा है कि:- "इन मंदिरोंकी खुदाईके काम में स्वाभाविक निर्जीव पदार्थों के चित्र बने हैं इतनाही नहीं किन्तु सांसारिक जीवन के दृश्य, व्यापार तथा नौका-शास्त्र के चित्र तथा रण संग्राम के चित्र भी खुदे हैं।" इसकी छत में जैन धर्म की अनेक कथाओं के चित्र हैं। इसमें मुख्य मंदिर (गंभारा), आगे गुंबजदार सभा-मंडप, आसपास के छोटे छोटे जिनालय तथा पीछे हस्तीशाला अत्यंत मनोहर है। मंदिर में मुख्य मुर्ति नेमिनाथ भगवान की है। यहां पर दो बड़े बडे शिला लेख हैं एक धोलका के राणा बीरधवल के पुरोहित तथा “कीर्ति-कौमुदी और सुरथोत्सव" काव्यों के कर्ता कवि सोमेश्वर का रचा हुआ है। इसमें वस्तुपाल तेजपाल के वंश का वर्णन, अर्णोराज से लगाकर वीरधवल तक की वघेल राजाओं की नामावली आबू तथ । सिरोही के राजाओं का वृत्तांत इस मंदिर की प्रशंसा तथा हस्तिशाला का वर्णन आदि है। यह ७४ श्लोकों का एक छोटासा सुंदर काव्य है। इसी के दुसरे शिला लेख में जो गद्य में ही है; विशेष कर इस मंदिर के वार्षिकोत्सव आदि की जो व्यवस्था की गई थी उसका वर्णन है । इसमें आबू पर के तथा नीचे के अनेक गांवों के नाम लिखे गये हैं. जहां के महाजनोंने प्रतिवर्ष नियत दिनों पर यह उत्सव करना स्वीकार,

Loading...

Page Navigation
1 ... 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154