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घरणासा रत्नासा।
प्राग्वाट वंश में संघवी सानर [ मांगण ] के सुत सं० कुरपाल भार्या कामल दे के पुत्र प्रसिद्ध धरणा और रत्ना हुए। इनोंने लाखो रुपये व्ययकर के संघ निकाले शत्रुजयादिकी तीर्थ यात्रा की । शत्रुजय, अजाहरी, पींडर वाट सालेरा आदि स्थानों में मंदिर जैन विहार आदि नये भी बनवाये और कईयों का जिर्णोद्धार कराया। इनोंका बनवाया राणपुर ( मारवाड ) का चतुर्मुख विहार अत्यंत प्रेक्षणीय है । इसकी चित्ताकर्षक तथा आश्चर्य कारक मांडणी इसके गुंबच की भव्यता तथा प्रमाण युक्तता प्रेक्षक को मंत्र मुग्ध कर देती है । आज भी कई पाश्चिमात्य कारागीर एन्जिनियर उसे देख कर धन्य धन्य कहते हैं। इसके बनाने में भी लगभग १५ करोड के व्यय हुआ है। राणपुर की प्रशस्ती में इनके वंश लिखा है कि:
" विनय विवेक धेयाँ दार्य शुभकर्म निर्मल नीलाद्यभ्दुत गुण मणिमया भरण भासुर गात्रेण श्रीमद हम्मद सुरत्राण दत्त फुरमाण साधु श्री गुणराज संघपति साहचर्थ कारि देवालया डंमर पुरासर श्री शत्रुजयादि तीर्थ यात्रेण । +++ ॥ ( राणपुर प्रशस्ति )।