Book Title: Porwar Mahajano Ka Itihas
Author(s): Thakur Lakshmansinh Choudhary
Publisher: Thakur Lakshmansinh Choudhary

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Page 129
________________ १११ सोमेश्वरादि कवियों को इनोंने भूमि आदि दान द्वारा पुष्कल आजीविका कर दी जिस की कृतज्ञता प्रकाशित करते हुए सोमेश्वरने कहा है: ' सूत्रे वृत्ति कृता पूर्व दुर्ग सिंहन धीयता । विसुत्रेतु कृता तेषां वस्तुपालन मंत्रिणा " वस्तुपाल सोमेश्वर को बहुत आदर करता था : एक समय वस्तुपाल धोलका से स्तंभपुर गया। जब वह हां पहुंचा तो उस समय कुछ घोडे नावों में से आये हुए थे 1 उसने उस समय उन घोडों की ओर तथा समुद्र की ओर.. देखकर कहा: प्रावृट काले पयो राशिः कथं गर्जित वर्जितः ? अर्थात्-वर्षा ऋतु में यह समुद्र बिना गर्जना के क्यों हैं ? सोमेश्वरने उत्तर दिया: "" श्रतः सुप्त जगन्नाथ निद्राभंग भया दिव "6 वस्तुपालये प्रसन्न होकर उसी समय वे अमुल्य १६ घोडे सोमेश्वर को भेट दिये । एक समय कइएक कवि बैठे थे और परस्पर में मनोहर संभाषण कर रहे थे कि उस समय वस्तुपालने एक समस्या दी ।

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