Book Title: Porwar Mahajano Ka Itihas
Author(s): Thakur Lakshmansinh Choudhary
Publisher: Thakur Lakshmansinh Choudhary

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Page 123
________________ १०५ दूर किये। सदाचार की वृद्धि की। वहां लुटेरों का उपद्रव न रहने से व्यापार की वृद्धि हुई । वह आर्थिक सहायता देने में उदार था । उसने हितकारी प्राचीन स्थानों तथा देवालयों का जीर्णोद्धार करवाया । नये मंदिर तालाव बनवाये, बाग लगवाए, कुवे बावडियां खुदवाई, प्याऊ लगवाए, जैन उपाश्रय खोले और एक “ब्रह्मपुरी” नामक मोहल्ला बसाया । वह सब धर्मावलंबियों को अनुकूल था। वह जैन होने पर भी वैष्णवों ओर शैवों का भी सम्मान करता था। गुर्जर देश की सुख शांति और उन्नति दक्षिण के राजा सिंहन को क्लेशकारी हुई। उसने अचानक गुर्जर देशपर आक्रमण करना चाहा । इधर लावण्यप्रसाद वीरधवल के पास सेना कम थी तो भी वे निर्भयता पूर्वक बड़े साहस के साथ शत्र की सेना से भृगुकच्छ (भडोच ) के निकट सामना करने को बढ़े। इसी समय मारवाड के चार राजाओं ने गुजरात पर चढाई की। इतना ही नहीं किंतु इनके मित्र गोद्रह [गोधरा] और लाट [ दक्षिण गुजरात ] के राजा भी मारवाड के राजाओं से मिलगए। ऐसी आपत्ति में भी राजा और मंत्री न घबराए। उन्होंने प्रथम तो सिंहन को परास्त किया तदनंतर लाट गोधरा के राजाओं से मिलकर संधि करली और फिर मारवाड वालों को मार भगाए। इधर जब राजा इस तरह संग्राम में आ सका था भाग्यवशात् वस्तुपाल की बुद्धि और वीरता की परिक्षा का

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