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हैं । उनका जन्म वि. सं. १२६० में हुआ । उनकी माता का नाम कुमारदेवी था। इनके वंश का मूल पुरुष चंडप गुजरात में धोलका ग्राम में रहता था । इन्हीं के कुल में चोथे पुरुष अश्वराज थे और अश्वराज से माता कुमारदेवी की कुक्षी से इन दोनों भाई का जन्म हुआ । इनमें वस्तुपाल विविध गुण संपन्न था। उसका विवाह ललितादेवी से तथा तेजपाल का विवाह अनुपमादेवी के साथ हुआ था। इनके पुत्रों के नाम वंशवृक्ष में दिये हैं। तेजपाल अपने बड़े भाई का बहुत आज्ञाकारी था । “ सोमेश्वर कवि” ने वस्तुपाल कवि होने के संबंधमें अपने “सूरथोत्सव" काव्य में लिखा है। अणहिलपुरपट्टण के राजा लावण्यप्रसाद को अपने मंत्री पदपर किसी सुयोग्य व्यक्तिकी स्थापना करने की इच्छा हुई तब सोमेश्वर ने ही राजा को इन बन्धु द्वयका नाम सुचित किया । राजाने इन दोनों को कहा कि, " वास्तव में जिस
राजा के पास तुह्मारे.जैसे गुण संपन्न कर्मचारी होते हैं वह संपत्ति के साथ साथ सुयश भी प्राप्त करता है। हमारा कई राजाओं के साथ विरोध हो रहा है, अतः हम राज्य सुधारने की इच्छा से तुम दोनों को मंत्री पद पर नियुक्त करना चाहते हैं। तुम अपनी अकुंठित बुद्धि से राज्य के ऐश्वर्य को बढाओ; और प्रजा में सुख शांति फैलाओ। .
प्रत्युत्तर में विनय सहित वस्तुपाल ने कहा कि, यह तो महाराज का बडा अनुग्रह है : कि हमको इस योग्य