Book Title: Porwar Mahajano Ka Itihas
Author(s): Thakur Lakshmansinh Choudhary
Publisher: Thakur Lakshmansinh Choudhary

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Page 81
________________ ६३ त्यांथी कुंवरने लईने बन्ने बंधव साथे धवलक नगरमां आवी ह्या । त्यांथी गुरु आपेल वरना महिमा थी दिने दिने व्यापार थी उदयवंत थया । एवामां विक्रम संवत १२७४ वर्षमां वस्तुपालने ललिता दे साथे पाणिग्रहण थयुं । एवामां माता कुंवर स्वर्गवास थयो । अग्यार दिवसने अंतरे पिताश्री आसराजनो स्वर्गवास थयो । आवरीते १८ वर्ष व्यापारमा थया । तेज वर्षे अंबिका अने कवड यक्षनी कृपा थी राज श्री वीर धवल वस्तुपालने घणा आग्रहे मंत्रिपद आप्यू, तेटलामां त्यां भंडारी पद तथा मंत्रिपदना तिलक करवाना अवसरे मंत्रि वस्तुपाल ज्ञाति त्रीस पाटण पाखले पोषतो हतो । एवामां पाटणम नगर श्रेष्ठीने घेर भविष्यताना योगे नोतरं विसर्युदेवायुं नहि । अजाण पणे ते शेठनो पुत्र वर्ष १३ नो ते सामान्य पशुं - सामान्य स्थिति थवा थी घी तेल हलदर हींग ची बोरे [ बे प्रहरे ] घेर आव्यो । एटले पोतानी माताने रुदन करती दीठी । आ देखी पुत्र कहयुं, " आ केम ? " त्यारे माता कहयुं, अपणा पाटण नगरना मुख्य श्रेष्ठी तारा पितानुं मरण तारा बालपणाथी थयुं छे । द्रव्य पण नहीं तेथी आपणे घेर नोतरुं [ नुहुतरु ] न आव्युं । अने ए राज मंत्र भाग्यवंत थयो पण छिद्र सहित छे * * * आम विचारी वेणी ए बधी बेटा आगळ आसराज प्राग्वाट्, कुंवर बाल विधवाए श्रीमाली, मंत्रिने मोटो छिद्र ए छे । आवात पुत्रने सघली कही । आ सांभली बेटाने हर्ष थयो । एटलामां ज्यां 66

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