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४ नेन ठ. श्रीकुमार देवी कुक्षि संभूतेन महामात्य श्री वस्तु
पालेन स्वभार्या मय्या ठ. कन्हड पुत्र्याः ठ०
संपूत्कुक्षि भवा। ५ याः महं श्री ललिता देव्या पुण्यार्थ मिहेव श्री जयादित्य
देव पत्न्या श्री रत्नादेवी मूर्तिरिय कारिता ॥शुभमस्तु।। उक्त लेख में ठकुर लिखा है परंतु इनका गोत्र “ठकुर" न था यह तो वे जागीरदार होने के कारण ठकुर लिखे जाते थे । इनका गोत्र था। "उवरड"
२ मूठलिया गोत्र । श्री जगत्सेठ का मंदिर-महिमापुर ।
सं. १५३६ व० फा० सु० १२ प्राग्वाट व्य० हीरा भा० रुपादे पुत्र व्य० देपा भा० गी ( गो ) मत्ति पुत्र गांगा केन भा० नाथी पु० भेरा भा० गोगादि कुटुंब युतेन श्री नेमिनाथ बिंब का० प्र० तपागच्छे श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः पींडरवाडा प्रामे मूठलिया वंशे श्रीः ।
३ दोसी गात्रे। सेठ नसी केशवजी का मंदिर–पालिताणा.
सं. १६१४ वर्षे वैशाख सुदि २ बुधे प्राग्वाट भातीय दोसी देवा भार्या देमति सुत दो० बना भार्या बनादे सु० दो. कुधजी नाम्ना पितुश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ बिंब कारापितं तपा