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१४०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ णिद्दलिय - कुंम्भि कुम्भत्थला हुँ
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भड-धड-गय-घडैहिँ भिडन्तऍहिँ 'रय - यिरु समुझित्ति किह
॥ घत्ता ॥
[ क० ११,९ - १०, १२, १-१०, १३,
उच्छलिय-धवल-मुत्ताहलाहु ॥ ९
अह गरिन्द-कोवाणलेण उज्झन्ति । वह धूम - विच्छऍ धूमार्यन्ति ॥ १ अहवइ दी हर - धरणिन्द-णाले रण- मेsणि कण्णिय-सोहमाणें उच्छलिउ मन्दु मयरन्दु जाइँ उड्डुं वै समर-पड वा चुणु वारे व रणु विणं वि वलाहँ मइलेइ व वयणइँ णरवराहँ मज्जइ व मएण महा-गया हँ वीसमइ व छत्त-धऍहिँ चडेवि
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रह-तुरयहिँ तुरिउ भिडन्तऍहिँ । णिय-कुलु मइलन्तु दु-पुत्तु जिह ॥ १०
[१२] हरि-खुराहउ र समुच्छलिङ । गय-पय-भर- भारियऍ धरणाइँ णीसासु मेल्लिउ । अन्धयारु जीउ व्व मेल्लिउ
अहव विमुच्छावियहें
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जग-कमले दिसा मुह-दल-विसालें ॥ २ हरि-भर - ईखुर- विहडिज्जसाणें ॥ ३
- णिण व हों धरित्ति जाइ ॥ ४ णास व सो जें रहु तुरय-छण्णु ॥ ५ साइ देइ व वच्छ-त्थलाहँ ॥ ६
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"आइ व उप्परें रहवराहं ॥ ७ णञ्चइ व कण्ण-तालेहिं तावै ( ? हँ) ॥ ८ तव व गयणङ्गणे णिव्वडेवि ॥ ९
॥ घत्ता ॥
पसरन्तुट्ठन्तु महन्तु रउ लक्खिज्जइ कवि कव्वुर । महि-मड गिलन्तों स-रहसहों "णं केस भारु रण- रक्खसहों ॥। १०
[१३]
'सो ण सन्दणुं सो ण मायडु | 'ण तुरङ्गमु ण वि य धउ णावत्तु जं उ कलङ्किङ । पर मिल आय हुँ चित्तु मइलेंविण सक्किउ ॥
10 Ps कुंभ° 11 P ° घडेहि, s 'घडेहि. 12. 1P धूमावत्तिहें, S धूमावत्तिहि.
2P खुर', corrected as खुरहिं, s खुर° 3 Ps
° विहडिजमाणे. 4 A उड्ड. 5 Ps य. 6 Ps वाय° 7A चण्णु 8A च्ण्णु. 9PS विहि. 10 This pāda is wanting in P. 11 After this P marginally adds : अवरोपरो वुलहि सुहड जाव | 12 P 'दंतु, दुतु. 13 P कत्तुरउ. 14 This pada is wanting in A.
13. 1 These pādas are wanting in A, 2Ps णिम्मल.
[११] १ धूलिसमूह.
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