Book Title: Paumchariu Part 3
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
क० १२,५-८,५०१-६]
उत्तरकण्ड-णवासीमो संधि [२८९ जिह सो तिह अफ़्रान्स-सुह-थाणहा गउ घणवाहणो वि णिव्वाणहाँ ॥५ जसु केरउँ अज वि अहिणन्दई लोउ मेहरहु तित्थु पवन्दइ ॥६ कुम्भयण्णु पुणु सासय-सोक्खहाँ सो वि वडहें खेड्हें गउ मोक्खहाँ ॥७
॥घत्ता ॥ गउ रहुवइ कइहि मि दिवसेंहिं तिहुअण-मङ्गलगा हो । अजरामर-पुरस्परिपालहों पासु स य म्भु-भडाराहाँ ॥ ८
इय पोमचरिष-सेसे सयम्भुएवस्स कह वि उव्वरिए । तिहुअण-सयम्भु-रइए .राहव-णिव्वाण-पव्वमिणं ॥ वन्दइ-आसिय-तिहुयण-सयम्भु-परिविरइयम्मि मह-कव्वे । पोमचरियस्स सेसे संपुण्णो णवइमो सग्गो॥
॥ पोमचरियं समत्तं ॥
[प्रशस्तिगाथाः] सिरि-विजाहर-कण्डे संधीओ होन्ति वीस परिमाणा । उज्झा-कण्डम्मि तहा वावीस मुणेह गणणाए ॥ १ चउदह सुन्दर-कण्डे एक्काहिय-वीस जुज्झ-कण्डे य । उत्तर-कण्डे तेरह सन्धीओ णवइ सव्वाउ ॥२ तिहुअण-सयम्भु णवरं एक्को कइराय-चक्किणुप्पण्णो । पउमचरियस्स चूलामणि व्व सेसं कयं जेण ॥ ३ कइरायस्स विजय-सेसि यस्स वित्थारिओ जसो भुवणे । तिहुअण-सयम्भुणा पोमचरिय-सेसेण णिस्सेसो ॥४ तिहुअण-सयम्भु-धवलस्स को गुणे वण्णिउं जए तरइ । वालेण वि जेण सयम्भु-कव्व-भारो समुव्वूढो ॥५ . वायरण-दढ-क्खन्धो आगम-अङ्गो पमाण-वियड-पओ। तिहुंअण-सयम्भु-धवलो जिण-तित्थे वहउ कव्व-भरं ॥६
3 A °3. 4s 'हिं, A वहेडखडहे. 5 PS °ह. 6 P A °रहो 7 PS A°लाहो. 8P गउ पासु, 8 गठ पासे. ..
.Prasasti. 1 PA °ण. 25 °से. 3 A °ससेसि
३ मेघवाहनः . Jain Education Intern o o 3
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388