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क०१६,१-८; १७, १-३]
जुज्झकण्डं-चउसत्तरिमो संधि [१४३
[१६]
को वि गयघड-वरविलासिणिऍ कुम्भयल-पओहरेंहिँ 'भिण्णु 'दन्ति-दन्तग्गें लग्गई। कर -छित्तुच्चाइयउ . को वि णाहि-उप्पर वलग्गई ॥
को वि सुटुं हेट्ठामुहुँ ठिउँ चिन्तन्तउ। .
किण्ण मज्झु हय-दइवें दिण्णु 'सिर-त्तउ ॥ १।। जे णिरिणु होमि तीहि "मि जगहुँ सामिय-सरणाइय-सजणहुँ' ॥ २ को वि सामिहें अग्गएँ वावरइ • सिर-कमलेंहिँ पत्त-वाई करइ ॥ ३ केण वि असहाएं होन्तऍण चिन्तिउ रण-मुहें जुज्झन्तऍण ॥४ 'वे वाहउ तइयउ हियउ छुईं वइसारमि गय-घड-पीढे फु?' ॥ ५ ॥ कासु वि" स-वाहु असि-लट्ठि गय णं सोरग चन्दण-रुक्ख-लय ॥६ कत्थ ई अन्तेहिं गुप्पन्तु हर • सामिउ लेप्पिणु णिय सिमिरु गउँ ॥ ७
॥ घत्ता ॥ "कत्थ इ गय-घड कोवारुहिय धाइय सुहडहाँ सवडम्मुहिय । सिरु धुणइ ण ढुक्कइ पासु किह पहिलारऍ रएँ णव-बहुअ जिह ॥ ८ 15
[१७]
को वि मयगलु दन्त-मुसलेहि।। आरुहेवि मइन्दु जिह असिवरेण कुम्भ-यलु दारइ। कडेवि मुत्ताद्दलइँ करेंवि धूलि धवलेइ णावइ ॥ ___ को वि दन्त उप्पा.वि मत्त-गइन्दहों।
मुअइ तं जें पहरणु अण्णहाँ गय-विन्दहों ॥ १ उद्दण्ड-सोण्ड-मण्डवें विशाले भिज्जन्त-दन्ति-गत्तन्तराले ॥२ करि-कण्ण-चमर-विजिजमाणु णं सुवइ को वि रण-वहु-समाणु ॥ ३ __ 16. 1 A °वय'. 2 A °दंतग्ग. 3 A घाएहिं. 4 A करिच्छित्तुन्वेइयउ. 5 A णाहिं . 6 P A ई. 7 P सुहड, A सुहडू. 8 P A. हुं. 9 wanting in s; A ठिउं. 10 P S तिण्ह वि. 11 F जणहं, s जणहु, A जणाहुँ. 12 Pणाहं, s °णाहु, A °णाहुं. 13 Ps °वाइ. 14 P A च्छु?, S च्छुडू. 15 P S फुदु, A फुटु. 16 A इ. 17 P A ई 18 PS घुलंतु, P marginally notes the reading गुप्पंतु. 19 Wanting in A. 20 The portion from here up to a in the third pāda is wanting in a.
17.1 is A गयंदहो. 2 P 8 मंडवविसालि, A मंडविविसाल. 3 Ps दंते, A दत्त. 4P SAलि.
[१६] १ चैम्पितः. २ हस्तिदन्ताग्रे लग्नानि. ३ करेण स्पृष्टोक्षिप्तस्तदुपरि विलग्नो। अपरोऽपि यो कामी पुरुषो नायिकास्तनयुगलेन पीड्यते न स्पृष्टा (?) प्रेर्य्यते स सुरतार्था किलोपरि चटति । ४ मस्तकत्रयम्. ५ ससर्पा.
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