Book Title: Paumchariu Part 3
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
२५६] सयम्भुकिङ पउमचरिउ
10
विडिउ णिहाउ
5
जं उत्तम गय तुरिय राम-लक्खणहों वत्त तेहि मि पण 'रण-सय-समत्थु • लवणङ्कुस सत्तुहणेण सहिय 'हा माम माम गुण- रयण-खाणि 'एत्तिय - कालहों सिहि-महुर-वाय * सुणावि जण वितुरिउ आउ तहों पुणु पुच्छिज्जइ दुक्खु काइँ
[१३]
तं पाहिँ मेल्लिउ जणय- जाउ ॥ १ 'भामण्डल - कह कालहों समत्त ' ॥ २ अम्हहँ णिवडिउ दाहिण हत्थु ' ॥ ३ णिसुविणु सोय - गण गहिय ॥ ४ कहिँ उ मुवि यरुआहिमाणि ॥ ५ हा मुय अम्हारिय अज्जु भाय ' ॥ ६ लहु-भायरेण कणएं सहाउ ॥ ७ तो वण्णिज्जइ जइ बहु-मुहाइँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥
मे(१मि)लेंवि असेसहिँ वन्धर्वेहिं सोयामणि- संचूरिय-काय हो । सहसा लोयाचारु किउ
तो बहु-दिवसेंहिँ मावि स जाउ 15 परियरियर बहु - खेयर - जणेण उ वन्दण-हत्तिऍ तुरिङ मेरु पेक्खन्तु देस- देसन्तरा इँ कुल- गिरि - सिर- सरवर - जिणवराइँ गुह्-कूडइँ खेत्तइँ काणणाइँ सव्वइँ पिय-घरिणिहिं दक्खवन्तु केरु-रहसुद्धसिय-समत्त-गत्तु
पवर - विमाणों ओयरेंवि णिम्मल-भत्तिएँ जिण-भवणें
[१३] १ विद्युत्. [१४] १ हनुमंतु सपुत्रः.
Jain Education International
दिण्णु सलिल भामण्डल - रायहों ॥ ९
3 p.
13. 1PSA गि. 2 PA. 6 A only गरु. 7 Sixth line is missing in A
तुस्sि is missing in A.
14. 1 A मारुइ.
[ क० १३, १–९, १४, १-९
[१४]
स- विमाणु कण्णकुण्डल- पुराउ ॥ १ अन्तेउर-सहिउ णहङ्गणेण ॥ २ णं क्खिणजक्खहिँ सहुँ कुवेरु ॥ ३ वेड- उभय-सेढिहिँ पुराइँ ॥ ४ वावि कप्पहुम-लयहराइँ ॥ ५ विणि वि कुरु-भूमि उववणाइँ ॥ ६ विहसन्तु खणे खणें पुणु रमन्तु ॥ ७ मगहर - गिरि-मन्दर-सिहरु पत्तु ॥ ८
॥ घत्ता ॥
करेंवि पाणि तुरियस-कन्तें । थुइ पारम्भिय पुणु हणुवन्तें ॥ ९
2 P° मंत्त', 'समंत' 3PSA उ
4PS सुवि 5 A सोयगण. 8 The portion up to
२ प्रचुरः.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388