Book Title: Paumchariu Part 3
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
२८४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १, १-९, २, १-९, ३, १-२
[१] अण्णु वि पइँ लक्खिय सुद्ध-मइ कहें लवणकुसह,मि कवण गइ ॥१ का जणयहाँ कणयहाँ केकयहें का अवराइय, सु-सुप्पहहें ॥ २
का लक्खण-मायहें केकय का भामण्डलहों चारु-मइहे' ॥३ ' अक्खइ केवलि सुर-णमिय-पउ दसरहु तेरहमउ सग्गु गउ ॥ ४
परमाउ वीस सायरइँ जहिँ जणउ वि कणउ वि उप्पष्णु तहि ॥५ परिमाणु जेत्थु आहुट्ठ कर
अवर वि अणेय तहिं जाय र ॥ ६ अवराइय-केकय-सुप्पहउ कइकइ-सहियउ परिसह-सहउ ॥ ७ अण्णउँ वि घोर-तव-तत्तियउ सव्वउ देवत्तणु पत्तियउ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ जे पुव्व-जम्में तउ णन्दण विण्णि वि तिहुवर्णेक्क-विजइ । लवणकुस-णामालकिय तहुँ होसइ पञ्चमिय गइ ।। ९
[२] णन्दण-वण-भूसिय-कन्दरहों दाहिण-दिसाऍ गिरि-मन्दरहाँ ॥१ कुरु-भूमिहे भामण्डलु वि हुउ पल्ल-त्तय-आउपमाण-जुउ ॥२ पुच्छिउ सुरवइणे 'केण फलॅण' आयण्णहि तं पि वुत्त वलेण ॥३ उज्झहें चिरु कुलवइ पवर-भुउ 'मयरिऍ मणि?-'मेहलिय-जुउ ॥ ४ वजय-णामङ्किउ तहु तणउँ णिय-धण-सम्पत्तिऍ जिग-धणउँ ॥५ णिवासिय सीय मुणेवि खणे सो चिन्तावियउ स-सोउ मणे ॥ ६ सा दिवहिँ गुणहिँ अलङ्करिय सोमाल-देह अइ-सुन्दरिय ॥ ७ वर-रूवें सिरि-देवयहें णिह काऽवत्थ पेक्खु वणे पत्त किह ॥८
॥ वत्ता ॥ वइराउ तं जे ते भावि पुत्त-कलत्तइँ परिहरेंवि । 'दुइ-मुणिहें पासें तवु लइयउ मुणि-सुवय-जिणु मणे धरेंवि ॥९
[३]
तासु असोय-तिलय दुइ णन्दण जणण-णेह-किय-गुरु-अक्कदण॥१ सहुँ कन्तेहि वइराएं लइया ते वि दुइ-मुणिहें पासें पव्वइया ॥२ 2. 1 PS °णा. 2 PS A 'हि. 3 P. 4 PS वरु. 3. 1 PS °गरु. 2 PS कंतें.
[२] १ मगरीस्त्रीयुक्तः. २ T भार्यया. ३ कुलपतेः कुटुम्बिन्याः पुत्रः. ४ वनप्रेक्षिता यस्मिन् प्रस्तावे; T has णिण्णासियसिय rendered as लक्ष्मीनि शितः. ५ द्रुतिनामा मुनिः.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388